15 अगस्त 2025 को भारत अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनायेगा। यह दिन हमें हमारे लोगो के लम्बे संघर्ष, बलिदान और आज़ादी की लड़ाई के किमत से अवगत कराता है। यह ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से बताने कि कोशिश करेंगे कि कैसे यह दिन बना, इसका क्या महत्त्व है और हमें अपने नागरिक कर्तव्यों को कैसे निभाना चाहिए।
स्वतंत्रता दिवश का इतिहास
अग्रेजो के शासन के सुरुआत से आन्दोलन तक
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1858 में भारतीय उपमहाद्वीप में शासन शुरू किया। लेकिन 20वीं सदी की शुरुआत तक भारतीय स्वराज की भावना जीवित हो चुकी थी। 1905 से विभाजन‑विरोधी आंदोलन, 1919 का जलियाँवाला बाग कांड और 1930 का नमक सत्याग्रह, इन सबने आज़ादी की राह तैयार की।
मुख्य ऐतिहासिक मील के पत्थर
- 1942 में गांधीजी ने लंदन में ब्रिटिश सरकार से पूर्ण आज़ादी की मांग की।
- 1947 कि भारत विभाजन रेखा : 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान में स्वतंत्रता कि घोषणा कि गयी और 15 अगस्त 1947 में भारत में स्वतंत्रता कि घोषणा कि गयी |
इस विभाजन का मुख्य कारण धार्मिक और राजनीतिक मतभेद था | जिसके कारण ब्रिटिश सरकार ने भारत देश को दो अलग अलग देशो में विभाजित करने का निर्णय लिया |
स्वतंत्रता दिवश कि स्थापना
15 अगस्त 1947 को भारत कि स्वतंत्रता के अवसर पर रात 12 बजे पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा फहराया था | उस एतिहासिक छण में श्यामाप्रसाद मुखर्जी और सरदार पटेल जैसे नेता मौजूद थे। तबसे इस दिन को हर साल भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है |
स्वतंत्रता दिवश का महत्व
राष्ट्रीय पहचान और गौरव
स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन न केवल ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की याद दिलाता है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता, बहुलवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों का भी प्रतीक है।
बलिदान की याद
15 अगस्त का यह दिन उन सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, जिनमें लाल बहादुर शास्त्री, भगत सिंह, और सरोजिनी नायडू जैसी महान हस्तियां शामिल हैं।
लोकतंत्र की पुष्टि
15 अगस्त का यह दिन भारत की संवैधानिक व्यवस्था, मताधिकार, और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को रेखांकित करता है। हर साल, इस दिन नए लोकतांत्रिक मुद्दों और दृष्टिकोणों पर चर्चा होती है।
स्वतंत्रता दिवश का यह दिन भारत के संविधान और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के महत्व को दर्शाता है। भारत में, संवैधानिक व्यवस्था नागरिकों को उनके अधिकार और कर्तव्य प्रदान करती है, जबकि मताधिकार (वोट देने का अधिकार) नागरिकों को अपनी सरकार चुनने का अधिकार देता है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता यह सुनिश्चित करती है कि कानून का शासन बना रहे और सभी नागरिकों को निष्पक्ष न्याय मिले।
स्वतंत्रता दिवश कैसे मानते है ?
राजकीय स्तर पर
- दिल्ली में लालकिला समारोह : प्रधनमंत्री ध्वजारोहण करते हैं, राष्ट्रगान गाया जाता है, और आजादी के अमृत महोत्सव सहित विशेष भाषण व सांस्कृतिक कार्यकर्म व समारोह का आयोजन किया जाता है |
- राज्य व जिला स्तर पर समारोह : 15 अगस्त के इस दिन मुख्यमंत्रियों और अन्य अधिकारियों द्वारा झंडा‑रोहण किया जाता है व सांस्कृतिक कार्यक्रम किया जाता है, झाँकियाँ और देशभक्ति‑गीत गाए जाते हैं।
आम नागरिक का उत्सव
- 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवश के अवसर पर स्कूलों और कॉलेजों मे तिरंगा झंडा फहराया जाता है, व वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ, नृत्य प्रतियोगिताएँ और गायन प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं। ये गतिविधियाँ छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने, रचनात्मकता को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में शामिल होने के अवसर प्रदान करती हैं।
- 15 अगस्त के दिन घरो और मुहल्लों में एक जगह इकट्ठा होकर तिरंगा फहराते है | और और सुबह से शाम तक सभी लोग देशभक्ति के रंग में रंगे रहते है | और सभी लोग इस दिन तिरंगे के प्रति अपने सम्मान को प्रदर्शित करते है, और एक जुट होकर स्वतंत्रता के इस दिन को एक पर्व कि तरह मनाते है |
- भारत सरकार इस दिन हर घर तिरंगा लगाने कि प्रेरणा देती है |
- सभी लोग सोशल मिडिया पर एक दुसरे को अपने पोस्ट के माध्यम से सन्देश भेजते है व देशभक्ति के स्टेटस को लगाते है |
हमारे कर्तव्य और ज़िम्मेदारियाँ

संवैधानिक कर्तव्य
भारतीय नागिरक सविधान में लिखे गये अपने कर्तव्यो का पालन करे
- देश की सुरक्षा
- सविधान और कानून के नियमो का पालन
- देश के आगे बढ़ाने में योगदान
- प्राकृतिक सम्पदा का संरक्षण
सामाजिक और नैतिक ज़िम्मेदारी
- शिक्षा: हमें शिक्षा की दिशा में प्रयास करना चाहिए ताकि आगामी पीढ़ियाँ सशक्त हों।
- सामाजिक समरसता: जाति, धर्म, लिंग या क्षेत्रीय भेदभाव को मिटाकर समानता फैलाना।
- पर्यावरण संरक्षण: जल, जंगल, पर्यावरण की रक्षा हमारी जिम्मेदारी है।
सक्रिय नागरिकता
- मतदान: लोककल्याण के लिए वोट करें।
- शासन में भागीदारी: स्थानीय पंचायत से लेकर संसद तक नागरिक भागीदारी ज़रूरी है।
- स्वयंसेवी कार्य और सामाजिक सेवा: गरीबों, असहायों, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में योगदान दें।