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स्वतंत्रता दिवश का इतिहास

अग्रेजो के शासन के सुरुआत से आन्दोलन तक

स्वतंत्रता दिवश का महत्व

स्वतंत्रता दिवश कैसे मानते है ?

  • दिल्ली में लालकिला समारोह : प्रधनमंत्री ध्वजारोहण करते हैं, राष्ट्रगान गाया जाता है, और आजादी के अमृत महोत्सव सहित विशेष भाषण व सांस्कृतिक कार्यकर्म व समारोह का आयोजन किया जाता है |
  • राज्य व जिला स्तर पर समारोह : 15 अगस्त के इस दिन मुख्यमंत्रियों और अन्य अधिकारियों द्वारा झंडा‑रोहण किया जाता है व सांस्कृतिक कार्यक्रम किया जाता है, झाँकियाँ और देशभक्ति‑गीत गाए जाते हैं।
  • 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवश के अवसर पर  स्कूलों और कॉलेजों मे तिरंगा झंडा फहराया जाता है, व वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ, नृत्य प्रतियोगिताएँ और गायन प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं। ये गतिविधियाँ छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने, रचनात्मकता को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में शामिल होने के अवसर प्रदान करती हैं। 
  • 15 अगस्त के दिन घरो और मुहल्लों में एक जगह इकट्ठा होकर तिरंगा फहराते है | और और सुबह से शाम तक सभी लोग देशभक्ति के रंग में रंगे रहते है | और सभी लोग इस दिन तिरंगे के प्रति अपने सम्मान को प्रदर्शित करते है, और एक जुट होकर स्वतंत्रता के इस दिन को एक पर्व कि तरह मनाते है |
  • भारत सरकार इस दिन हर घर तिरंगा लगाने कि प्रेरणा देती है |
  • सभी लोग सोशल मिडिया पर एक दुसरे को अपने पोस्ट के माध्यम से सन्देश भेजते है व देशभक्ति के स्टेटस को लगाते है |

हमारे कर्तव्य और ज़िम्मेदारियाँ

भारतीय नागिरक सविधान में लिखे गये अपने कर्तव्यो का पालन करे

  • मतदान: लोककल्याण के लिए वोट करें।
  • शासन में भागीदारी: स्थानीय पंचायत से लेकर संसद तक नागरिक भागीदारी ज़रूरी है।
  • स्वयंसेवी कार्य और सामाजिक सेवा: गरीबों, असहायों, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में योगदान दें।


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